हिन्दी दिवस पर विशेष

** हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं **

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। हिंदी भाषा को भारत का अधिकारीक भाषा का दर्जा मिला 1999 में  भारत सरकार ने हिंदी व्याकरण तैयार करने के लिए समिति का गठन किया । हिंदी दुनिया में सबसे तेजी से लोकप्रिय हो रही भाषा है। और इंटरनेट पर भी इसकी मांग पिछले कुछ सालों में अंग्रेजी की तुलना 5 गुना तेजी से बढ़ गया है।
मसला यह है कि लोग को हिंदी पर गर्व तो है लेकिन क्या वह लोग अपनी भाषा की गौरवशाली इतिहास से जुड़े तथ्य को जानते हैं ? आज हम आपको हिंदी की ऐसी बाते बताने जा रहे हैं जिन्हें जानकर आपको अपनी भाषा पर गर्व होगा । लेकिन उससे पहले अरब अमीरात में एक भारतीय ब्यक्ति के साथ हुवा एक वाकया बताता हु। जोकी एक सच्ची घटना है।


मेरे एक मित्र जो तमिल हैं और शारजाह में जॉब करते हैं - नाम है पेरुमल।
    उन्होंने मुझे दिल्ली फोन किया और बोले कि वे अपनी कंपनी खोल रहे हैं शारजाह में और मुझे शारजाह आकर कुछ समय तक कंपनी को सँभालने में मदद करने को बोलने लगे।
मेरे हाँ करते ही उन्होंने वीसा टिकिट भेज दिया और मैं शारजाह जाकर कंपनी खोलने के लिए रजिस्टेशन आदि के कार्यों में लग गया। शारजाह रजिस्ट्री ऑफिस में पेरुमल का जाना जरुरी था, सो हम दोनों पहुंचे ऑफिस।

      अरबी ऑफिसर को जैसे ही पता लगा कि हम भारतीय हैं, वो हिंदी में पेरुमल से बात करने लगा। पेरुमल को हिंदी नहीं आती थी, उसने अंग्रेजी में जवाब दिया तो अरबी ऑफिसर ने पेरुमल की बेइज्जती करनी शुरु कर दी-
 "यू इंडियन मेंस हिंदी, बत यू डोन्ट नो हिंदी, यू आर नोत रिस्पेकट योर कंट्री एंड योर लैंग्वेज़, दैन हाउ विल यू रिस्पेक्ट माय कंट्री ?"
इसी प्रकार से जब तक पेरुमल उसके सामने रहा, तब तक वो बेइज्जती करता रहा। फिर मैंने अरबी से हिंदी में बात की और सभी पेपर वर्क समझाया।
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वापिस आने के बाद पेरुमल ने मुझ से हिंदी सीखना शुरु किया । एक नारियल और ११ रूपये देकर सर नवाया और हिंदी सीखना शुरु किया और ३ महीने में पेरुमल ने बातचीत करने लायक हिंदी सीख कर ही दुबारा उस अरबी ऑफिसर से मिला और हिंदी में बात की।

मित्रों ! इस घटना का केवल ये सार है कि देश में हम कितने भी प्रान्तवाद, भाषावाद में पड़े रहें, पर विदेशों में हमारी पहचान मात्र भारतीय है और भारत की पहचान मात्र हिन्दी ही है।
इसलिए हमें अपनी राष्ट्र भाषा पर अभिमान होना चाहिए।

हिन्दी दिवस पर माननीय स्व. श्री अशोक भारती अल्मोड़ा का संस्मरण।
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  हिंदी भाषा का विस्तार कितना बड़ा है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं । कि हर साल इंटरनेट पर हिंदी कंटेंट की मांग 94 परसेंट बढ़ गई है । हिंदी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है । हिंदी का इस्तेमाल तकरीबन 60 करोड़ लोग करते हैं ।  दुनिया के 176 विश्वविद्यालय हैं, जहां पर हिंदी पढ़ाई जाती है । आपको बता दें उनमें से 45 विश्वविद्यालय संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में है जो वर्ल्ड का सबसे पावरफुल सबसे विकसित देश है सिर्फ इतना ही नहीं अमेरिका में 25 पत्र ,पत्रिकाएं है जोकि रोज हिंदी में विदेशों में छापी जाती है । उनको पढ़ने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है ।
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      अंग्रेजी में भी कुछ शब्द हिंदी भाषा से लिए गए हैं । जैसे गुरु , जंगल , कर्मा , योगा,  बंगला, चिता , अवतार इत्यादि।। यह सारे प्रचलित शब्द है जो कि हिंदी भाषा से लिए गए हैं । 1805 में प्रकाशित लल्लूलाल द्वारा लिखित श्री कृष्ण पर आधारित किताब प्रेम सागर हिंदी की पहली किताब मानी जाती है ।

1954 में भारत सरकार ने हिंदी भाषा के लिए व्याकरण समिति का गठन किया । भारत के अलावा विश्व के अनेक देशों में हिंदी बोलने वाले लोग हैं ।  देखते हैं कितने देशों में हिंदी बोलने वालों की संख्या कितनी है । उनमें से कुछ मुख्य देशो के नाम यहां बता रहे है ।
     सबसे पहले हैं अमरीका जहां पर 638983 लोग हिंदी बोलते हैं । हिंदी का इस्तेमाल करते हैं ।
दूसरा है मॉरीशस वहां पर 685176 लोग हिंदी बोलते हैं ।
तीसरा है दक्षिण अफ्रीका में 890292 लोग हिंदी बोलते है ।
युगांडा में 147000,
यमन में 23200
सिंगापुर में 504000
नेपाल में तकरीबन 8 लाख लोग हिंदी बोलते हैं
न्यूजीलैंड में 20,0000
जर्मनी में 30,000 इसके अलावा अन्य कई देशो में हिंदी भाषा का इस्तेमाल होता है ।


       हिंदी को अपना नाम है । हिंदी शब्द हिंदू से मिला। हिंदू शब्द सिंधु से मिला। जिसका मतलब है पवित्र नदी का भूमि । यह भी कहा जाता है कि सिंधु नदी के पास जो सभ्यता फैली है, उसे सिंधु सभ्यता और उस क्षेत्र के लोगों को हिंदू कहा जाता है । हिंदू शब्द से ही बना और उनके द्वारा बोले जाने वाली भाषा हिंदी कहलाई ।
सरकार ने संयुक्त राष्ट्र की अधिकारी भाषा में हिंदी को शामिल करने के लिए सालाना ₹ 250 लाख खर्च किए । बिहार वह पहला राज्य है जिन्होंने हिंदी को अपने अधिकारीक भाषा के तौर पर स्वीकार किया ।  साल 1881 में बिहार के अधिकारी भाषा उर्दू हुआ करती थी इससे पहले स्थान पर शामिल किया गया ।

शुरुआत से ही हमारे यहां पर संस्कृत भाषा चलती आई है और यही संस्कृति भी रही है।
संस्कृत भाषा 1500 से लेकर के 500 ईसा पूर्व तक यह दो भागों में बटी हुई थी,  वैदिक और लौकिक ।
वैदिक में वेद उपनिषद् आरण्यक ग्रंथ , संस्कृत भाषा में रामायण महाभारत आदि लिखे गए। 

संस्कृत के बाद जो भाषा आती है वह पाली।
 पाली 500 ईसा पूर्व से लेकर के पहली शताब्दी तक रही । इसमें बोधग्रंथो की रचना हुई जैसे सुतपिटक ,विनय पिटक आदि ।

पाली के पास जिस भाषा का उद्भव होता है वह प्राकृत।
प्राकृतक भाषा ईसा की पहली शताब्दी से लेकर 500 ईसा तक रही । जिसमें जैन साहित्य बहुत ज्यादा मात्रा में लिखे गए थे । प्राकृतक भाषा के अंतिम चरण से अपभ्रंश का उद्भव माना जाता है जो 500 ईसा पूर्व  से लेकर 1000 इसवी तक रहा ।

अपभ्रंश के ही जो सरल देसी हिंदी शब्द , थे उन्हें अवहट कहा गया।
और इस  अवहट से ही हिंदी का उद्भव हुआ । अवाहट में विद्यापति की कीर्ति पताका लिखी गई है। अब शुरू करते हैं अपभ्रंश से निकली हुई आधुनिक भाषाएं ।

 हिंदी का जो उद्भव है वह अपभ्रंश से हुआ है ।
उसमें से पहला प्रकार है शौरसेनी अपभ्रंश।

 शौरसेनी के चार प्रकार है ।
 पश्चिमी हिंदी , राजस्थानी हिंदी, पहाड़ी , गुजराती भाषाएं।

अगली जो अपभ्रंश भाषा है वह है मांगधी और अर्धमागधी।
मंगधिया अपभ्रंश में भी चार प्रकार आते हैं। बिहारी, बांग्लादेशी, ओड़िया ,असमिया

अर्धमागधी अपभ्रंश के प्रकार
पूर्वी हिंदी, माग्धी और अर्धमगधि अपभ्रंश के अलावा और कई भाषाओं में अपभ्रंश हुआ है वह निम्न प्रकार से है। पैशाची - लहदा , पंजाबी ;   ब्राचड -   सिंधी  ;    महाराष्ट्रीय - मराठी
आप ऐसा समजिए की अपभ्रंशसेही हमारी आधुनिक भाषा का उदय हुआ है।

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हमारे हिंदुस्तान की भाषा हिंदी कहां से आई ? कैसे बनी यह हमारी देश की राष्ट्रभाषा ?
हिंदी भाषा का प्रयोग सर्वप्रथम उत्तर भारत में किया गया था । जहां आज उत्तराखंड है। इतिहास के हिसाब से हिंदी भाषा लगभग 2000 साल पुरानी है। हिंदी भाषा की शुरुआत इसवी सन 1000 से की गई थी।  हिंदी भाषा का करीबन 1500 तक लोग हिंदी भाषा अच्छी तरह से और सरल तरीके से बोल लेते थे।  1460 इसवी के करीब साहित्य सर्जन भी शुरू हुआ था। साहित्य सर्जन का मतलब ।जैसे दोहा, चौपाई , छंद। उस समय के महान रचनाकार गोरखनाथ, विद्यापति , नरपति थे ।

     1520 वी के आसपास जब हिंदी का प्रसार पूरे भारत में हो रहा था, तभी हिंदी भाषा में बहुत बड़ा बदलाव आया । जब हमारे देश में मुगलों का शासन शुरू हुआ और मुगलों की भाषा का प्रभाव हिंदी भाषा पर होने लगा । लोग फारसी भाषा का उपयोग करने लगे। क्योंकि मुगल उसी को अपने सत्ता में नौकरी देते थे । जिसको फारसी भाषा का अच्छा ज्ञान हो । जिसके कारण लोग हिंदी का उपयोग कम करने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि फारसी के लगभग 3500 शब्द ,अरबी भाषा के 2500 शब्द , पश्तो के 50 शब्द ,और तुर्की भाषा के 125 शब्द हिंदी भाषा में शामिल हुए।

     यह सब देख कर उस काल के विद्वानों ने लोगों के बीच हिंदी का स्थान कायम रखने के लिए कृष्णा और राम जन्मभूमि के बृज भाषा को उठाया और उसमें ग्रंथों व कव्यो की रचना की। जो लोगों को बहुत ही पसंद आए । और धीरे-धीरे लोग बृज भाषा बोलने लगे । यह महान कार्य करने वाले लोग थे संत तुलसीदास जी , संत सूरदास जी , संत मीराबाई जी , मलिक मोहम्मद जायसी, बिहारी भूषणजी , जिनकी वजह से भारत में फिर एक बार हिंदी भाषा का जन्म हुआ।

सन 1800 के करीब मुगल भाषा का प्रभाव कब कम होने लगा । हिंदी भाषा का प्रयोग सभी फारसी करने लगे। लेकिन कुछ समय बाद वही दौर आया जब अंग्रेज भारत में आए। अंग्रेजों की अंग्रेजी का बुखार भारत पर ऐसे चढ़ रहा था की  हिंदी का अस्तित्व खतरे में आया। और फिर से उस महान लेखक कौन है पहले की और खड़ी हिंदी का प्रयोग शुरू किया जिसमें शुद्ध हिंदी का भी इस्तेमाल किया गया और ऐसी ऐसी पुस्तकें खड़ी हिंदी होली में बोली में लिखी गई जो सामान्य मनुष्य के मन को भा जाती थी। लेकिन अंग्रेजी बहुत चलाक थे । लोगों को अंग्रेजी की तरफ खींचने के लिए, उन्होंने कहीं चाले चली।

     अंग्रेज भारत में राज करने के साथ-साथ अपनी भाषा और अपने धर्म का भी प्रसार करना चाहते थे। उन्होंने यहां आकर देखा की यहां कई धर्म मिलकर आपस में एकता बनाए रखे हैं वह इस एकता को तोड़ने का प्रयास करने लगे । उन्होंने जाति और धर्म के नाम पर लोगों को भड़काने का काम शुरू किया , जिसमें हो किसी हद तक सफल भी हुए । उनका ब्रीदवाक्य यही था तोड़ो और राज्य करो । वहीं उन्होंने अपनाया ।  लोग अपनी एकता को भूल कर अंग्रेजों की बातों में आ गए । अंग्रेजों को अपना धर्म प्रसार करना था।  अंग्रेज अपना धर्म प्रसार और भाषा का प्रसार करने लगे और सफल हो गए।
नतीजा यह हुआ कि हमारा हिंदुस्तान अंग्रेजों का गुलाम हो गया। गांधीजी ने और कई हस्तियों ने अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष किया और उनको अपने देश जाने के लिए मजबूर किया। गांधी जी ने हिंदुस्तान की एकता को जोड़ा , लेकिन हिंदू और मुस्लिमो को एक नहीं कर पाए । हिंदुस्तान से जाते-जाते अंग्रेज भारत और पाकिस्तान का बंटवारा कर गए । दोनों अलग-अलग देश बन गए और दोनों देशों की भाषा भी में अलग बनी । हिंदुस्तान की हिंदी और पाकिस्तान की और दो उर्दू । जिस देश के लिए जितने लोगों ने अपनी जान गवा दी वह देश आज भी अंग्रेजी का गुलाम है । अमेरिका के बाद अंग्रेजी ज्यादा बोलने वाला भारत दूसरा देश है। आज भारत में 80% लोग अपने बोलने में इंग्लिश शब्दों का उपयोग करते हैं।

     कुछ लोगों की नजर में हिंदी भाषा का प्रयोग करना जैसे गवार भाषा का प्रयोग करने जैसा है । तो कुछ लोग अपनी भाषा का गर्व रखते हैं । अभिमान रखते हैं । सम्मान करते हैं । जिन लोगों को हिंदी में बोलने में शर्म आती है उन्हें हम बता दे कि आज भी गूगल में हिंदी का उपयोग भारत में सर्वाधिक किया जाता है । गूगल पर सबसे ज्यादा भारतीय वेबसाइट हिंदी भाषा का प्रयोग करती है। भारत में 10% लोग अपना मोबाइल हिंदी भाषा में यूज करते हैं। आज भी लोग हिंदी में सबसे ज्यादा आप का अखबार पढ़ते हैं और न्यूज़ देखते हैं। हिंदुस्तान में आज भी 60% लोग हिंदी से प्यार करते हैं।

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