मदनलाल की कहानी

मैं हर रोज सुबह नाना नानी पार्क में जोगिंग के लिए जाता हूं। मेरे पड़ोस के कुछ बुजुर्ग लोग भी वहां टहलने आते हैं। टहलने के बाद सारे बुजुर्ग एक जगह पर बैठ जाते हैं। और किसी ना किसी वीषय पर बातें करने लगते हैं।
      एक दिन क्या हुआ,दस बुजुर्ग पेड के निचे बैठे। ऐसा ही टॉपिक छिडते गये। बातें करते करते टाॅपीक हिंदी सिनेमा और उस मे दिखाए जानेवाले रेल एक्सीडेंट इस पर आ गया। उन बुजुर्गों में बैठे हुए मदनलाल बात करने में एक्सपर्ट थे। वे कभी चुप नहीं रह सकते थे। किसी भी बात में टांग अड़ा देते थे। अपना मत प्रदर्शन करने की,  अपनी बाते, सुझाव किसी पर थोपने की उनको बहुत बुरी आदत थी। अनाप-शनाप बातें करके वह कितने सही है, और कैसे सही है, कितने सच्चे हैं, वे जता देते थे। लेकिन जब हिंदी सिनेमा और उसमें दिखाए जाने वाले रेल एक्सीडेंट पर टॉपिक आया तो वह चुप रहे। उनके मुंह से एक भी शब्द निकल नहीं पाया। इसका कारण था उनका भूतकाल उनको याद आ गया।

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    दरअसल हुआ यह था कि जब मदन लाल जी सिर्फ मदन थे। यानी कॉलेज  में थे लास्ट ईयर पढ़ रहे थे। तब की बात है। वे रेल से मुंबई से पुणे जा रहे थे। उनके सामने दो लडकिया बैठी हुई थी। उसमेसे एक बेहद खुबसुरत थी। रास्ते में एक ट्युनल यानी सुरंग लगी। सुरंग आते ही मदनमेें  हिंदी सिनेमा का हीरो आ गया। सामने बैठी सुंदर लड़की का अंधेरे का फायदा उठाकर चुंबन लेने की उन्होंने सोची। थोड़ा अंधेरा हो गया,उन्होने अपने काम को अंजाम दिया। पर उनकी बदनसीबी से सामने की सुंदर लड़की ने अपनी बगल में बैठे हुए काली मोटी अफ्रीकन जैसे मोटे होटो वाली लड़की को अपनी जगह बैठा दिया। अंधेरे में जगह बदलने की उन्होंने पहले ही सोची थी। यह बात मदन को कैसे पता होगी, फिर क्या जैसे ही उन्होंने चुंबन लिया गाड़ी सुरंग से बाहर आ गई और उजाला हो गया। अपने सामने काली भद्दी लड़की को देखकर मदन जी चिल्लाये।  उसी लड़की के साथ में उसके 90 किलो के पिताजी भी थे। वे कीसी जंगली भालू से कम नही थे। उनको मदण की चॉइस अच्छी लगी, और उन्होंने दोनों की जबरदस्ती शादी करा दी।
  आज मदनलाल जी 40 साल से उसी काली टिकाऊ लड़की के साथ घर बार चला रहे हैं। हिंदी सिनेमा और रेल हादसों के संयुक्त अनुभव लिए हुए मदनलाल वह रेल हादसा बुढ़ापे में भी भुला नहीं पाए। फिर वह बोलेंगे कैसे।  जैसे-जैसे पार्क में बैठे हुए बुजुर्गों का हिंदी सिनेमा और रेल एक्सीडेंट पर का टॉपिक गहराई में जाता चला गया। वैसे ही मदनलाल जी वहां से उठकर घर की तरफ चल दिए।

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