जानिये कैसे की जाती है प्लास्टिक सर्जरी ( Plastic Surgery )
प्लास्टिक शस्त्रक्रिया का मतलब है टूटने से या खराब हुए हुए जले हुए या पूरे ना बढ़े हुए शरीर के हिस्से को ठीक करना या फिर नया हिस्सा बनाना। उसे प्लास्टिक सर्जरी कहते हैं। पर इस प्लास्टिक का सर्जरी
में प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल नहीं किया जाता। इसमें शल्य चिकित्सा से चेहरा अथवा शरीर की विद्रूपता को हटा सकते हैं। प्लास्टिक सर्जरी में प्लास्टिक यह शब्द ग्रीक भाषा में प्लास्टिको से आया है। ग्रीक भाषा में प्लास्टिको का मतलब बनाना या तैयार करना होता है। प्लास्टिक सर्जरी में सर्जन शरीर किसी हिससे की त्वचा को या टिश्यू को निकाल कर किसी दूसरे हिस्से पर लगाता है। पहले इसकी पूरी शल्यचिकित्सा में से सिर्फ 1 % शल्य चिकित्सा के सौंदर्य वर्धन के लिए की जाती थी। लेकिन अब ज्यादा पैमाने पर की जाती है।अपने इंसानी शरीर में हड्डियां ग्रंथि मज्जातंतू रक्तवाहिनी कोशिकाएं चरबी धमनियां वगैरह आदी प्रकार है। सब पर पचाया नी चमड़ी का आवरण होता है। चमड़ी की वजह से इंसान का संरक्षण होता है। त्वचा के कुल ५ लेयर होते हैं। सब में अत्यंत सूक्ष्म छिद्र होते हैं। इन छिद्रो से द्रव यानी पसीना बाहर निकलता है। जोकि इंसानी शरीर में से विषयले और बिना काम के द्रव्य को बाहर निकालने का काम करता है। और शरीर का तापमान नियंत्रण में रखता है। त्वचा के एक के ऊपर एक सतह की वजह से वातावरण के सूक्ष्म जीव जंतु शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते। इसके सिवा शरीर की उष्णता अाद्रता की लेवल को सामान रखने में यहां मदद करता है। इंसान की त्वचा में एक रंग का लेयर होता है। जिसकी वजह से किरणोत्सर्गी का उपद्रव शरीर में नहीं होता। पांच लेअर में से सबसे बाहर की जो लेयर है वह अत्यंत सुकश्म पैमाने पर खत्म होती रहती है। रूखी त्वचा पर से सफेद सफेद खाल के कण निकलते हुए आपने देखा ही होगा। वहां हमारे शरीर की मृत त्वचा होती है। त्वचा की ऊपरी सतह का नव निर्माण हमारे शरीर में सातत्य से होता रहता है। उसकी जगह अंदर की त्वचा लेती है। और नई सफेद त्वचा दिखती है।
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जब ऐसे काम के लिए हड्डी की जरूरत लगती है तब उसी शरीर के फसली या कूल्हों में से किसीस्थान की हड्डी या पसलियों मे से, या फर कमर की हड्डियों में से हड़ी का टुकड़ा निकाल लेते हैं। उस टुकड़े को सटीक आकार देकर उचित स्थान पर उसका रोपण करते हैं। उसके बाद उस पर त्वचा चढ़ाई जाती है। और हड्डी के बीच में चर्बी डाली जाती है। कुछ महीने बाद उसमें खून का बहाव व शुरू होता है। उसके बाद नये टिश्यू का बढ़ना प्रारंभ होता है। और उस अंग में जान आ जाती है। इंसानी शरीर की विशेषताओं के अनुसार उस शरीर पर उसी शरीर की उसी उसी शरीर की त्वचा चढ़ाने के बाद वहां जीती है और बढ़ाती है। उसके बारे में त्वचा का प्रकार कुछ खून जैसा ही है मतलब मां और बच्चा इनके जैसे अत्यंत करीबी रिश्तेदार की त्वचा एक दूसरे के शरीर पर करीब 3 हफ्ते तक जिंदा रह सकती है। चमड़ी निकलने के बाद शरीर का बाहर का हिस्सा सफेद सफेद दिखाई पड़ता है। इसीलिए जो हिस्सा हमेशा कपड़ों के नीचे ढका रहे , जैसे पेट, बाहु , पोटरी, जाँघे।
मनुष्य की त्वचा सजीव होती है। त्वचा का रक्त पोषण मार्ग बिना तोड़े ,एक जगह से दूसरी जगह को ले जाना पड़ता है। यह प्रक्रिया 2 से 3 सप्ताह तक चलताने वाली होती है। कुछ विशेष परिस्थितियों में पेशेंट की त्वचा के 1 या 2 सतह ली जाती है। उस वक्त त्वचा शरीर से एकदम अलग करके इस्तेमाल कर सकते हैं। जब त्वचा का पोषण मार्ग ना तोड़ते हुए त्वचा लगाई जाती है ; तब शरीर के वह दोनों अंग पास पास लाए जाते हैं। एक अंग की त्वचा निकाल कर दूसरे अंगों को लगाते हैं। जब वह दूसरी जगह पूरी तरह से ना मिल जाए तब तक उसे प्लास्टर में बांध के रखते हैं। यह 2 से 3 सप्ताह का काल बहुत ही तकलीफ भरा होता है। पर उसके बाद की शल्य चिकित्सा आराम से हो जाती है। और ज्यादा तकलीफ भी नहीं होती है।
प्लास्टिक सर्जरी भारत में पहली बार सुश्रुत ने की थी। 25 सौ साल पहले उसे पहला शल्यचिकित्सक माना जाता है। युद्ध या फिर प्राकृतिक विपदा में जिनके अवयव खराब हो जाते थे ; उन्हें वह ठीक करता था। आज प्लास्टिक सर्जरी का क्षेत्र सुविधा और कामयाबी बहुत बड़े स्तर पर जा चुका है। सिर्फ हादसों युद्ध बीमारी की वजह से ही नहीं बल्कि शरीर सौंदर्य बढ़ाने के लिए भी प्लास्टिक सर्जरी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।
नाक और गला ठुन्नी को सही आकार दिया जा सकता है। चेहरे में बदलाव ला सकते हैं। स्त्रिया अपने वक्ष और नितंब पर प्लास्टिक सर्जरी करके उनको सुडोल बनाती है। माइकल जैक्सन नाम की अमेरिकी सिंगर ने 15 बार अपने नाक की प्लास्टिक सर्जरी करवाई थी। कई लोग बड़े हुए वजन को कम करवाने के लिए भी प्लास्टिक सर्जरी करवाते हैं।
1 टिप्पणियाँ
आपने बहुत अच्छी जानकारी शेयर किया है... शुक्रिया
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