सम्राट अशोक - भगवान बौद्ध के अनिंद्य उपासक
( Samrat Ashoka Chakravartri Raja )
भारत के स्वतंत्र ध्वज पर आज जो अशोक चक्र दिख रहा है वही है है यह सम्राट। हम 4 अप्रैल को सम्राट अशोककी जयंती मनाते है। दुनिया के विश्व के इतिहास के मात्र एक शांति सम्राट। इसवी सन पूर्व लगभग 294 साल में उनका जन्म हुआ। अशोक मौर्यजी चक्रवर्ती अशोक सम्राट के नाम से जाना जाता है। जिसका अर्थ होता है सम्राटों का किताब भारतमें केवल सम्राट अशोक को मिला है। सम्राट अशोक मौर्य वंश के सबसे महान शासक थे। उन्होंने लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीपपर 268 ईसापूर्व से 232 ईसापूर्व तक राज किया। सम्राट अशोक विशाल साम्राज्यसे बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्धधर्म के प्रचार के लिए भी जाने जाते है। इतिहास के अनुसार अशोक बहुत कम उम्र में राजा बने थे । अशोक जब सम्राट बने तब वह युवक ही थे। इसीलिए वे वह सबसे युवा सम्राट है। उस समय का सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का लगभग संपूर्ण भारतसे भी बड़ा था।
सम्राट अशोक की जीवणी :-
भरी जवानी के काल में उन्होंने कलिंग (उड़ीसा) देश पर आक्रमण कर दिया। घनघोर युद्ध हुआ।भारतीय युद्ध के इतिहास में कलिंग के युद्ध को ज्यादा पीड़ादायक
युद्ध माना गया है। तीरो की बारिश हुई। लाशो के ढेर लग गये। हजारों सैनिक जख्मी हुए। खून की नदियां बहने लगी। कलिंग के युद्ध में लगभग
100000 व्यक्ति मारे गए थे। और इससे भी ज्यादा लोगों को बंदी बना लिया गया
था। इस अमानवीय कृत्य से अशोक बहुत दुखी हुआ। 1 दिन अशोक उदास बैठे थे मैं युद्ध के बारे में ही सोच रहे थे आखिर जीत
क्यों नहीं पा रहे हैं। तभी उनका एक सैनिक आया और उसने अशोक को सूचना दी
, "महाराज अभी-अभी खबर मिली है कि कलिंग के महाराज युद्ध में मारे गए " यह खबर
सुनते ही अशोक बहुत खुश हुआ। सैनिक ने कहा परंतु महाराज कलिंग का दरवाजा तो
अभी भी बंद है। तो अशोक ने कहा चिंता मत करो मैं कल स्वयं दरवाजों को
खोलूंगा।
शांतीप्रीय अशोक का जन्म :-
दूसरे दिन अशोकने खुद अपनी सेनाका नेतृत्व करते हुए , अपनी सेना को ललकारते हुए कहा, '' मेरे वीर सैनिकों यह युद्ध पिछले 4 वर्षों से चल रहा है। आज इसका अंत करने का दिन आ गया है। आज हमारी विजय का दिन आ चुका है। आज हम इस दरवाजे को खोलकर अपनी जीत का झंडा लहराएंगे''
चारों तरफ जयजयकार की आवाजें गूंज रही थी, और दरवाजा खोल दिया गया। परंतु दरवाजा खोलते हैं सभी चौक गए। क्युकी आगे कलिंगदुर्ग की महारानी पद्मिनी सैनिको के भेष में महिलाओंकी विशाल सेना में घोड़े पर सवार हुए, बदले की भावना लिए खड़ी थी। महारानी ने सभी महिला सैनिकोसे कहा "आज हम अपने राज्य पर हुए नरसंहार और अपने पतियों की मौत का बदला इन्हे मार कर लेना है। सभी युद्ध के लिए तैयार हो जाए। ''
सम्राट अशोक ने महारानी से पूछा "तुम कौन हो ?''
" तुम मेरे पति के कातिल हो, तुम्हे हमसे युद्ध करना होगा " महारानी ने ऊंची आवाज में कहा।
अशोक ने कहा "हम स्त्रियों के साथ युद्ध नहीं करते , यह अन्याय होगा।"
महारानी ने कहा " तुमने अपनी जीत के लिए, लाखों बेकसूर लोगों की हत्या करवा दी, ये कहा का न्याय है? लाखो का नरसंहार करकर तुम्हे अन्याय की चिंता होने लगी ?? ''
महारानी के कहे हुए शब्दों ने अशोक को अंदरसे सोचने पर मजबूर कर दिया। उसे अहसास हो गया था की यह उसने क्या कर दिया। उसने चारो तरफ नजर दौराही ,युद्ध में हुए नरसंहार को देखकर अशोक का दिल पिघल गया। उसका महत्वकांक्षा का मद उतर गया । और उसने झुकते हुए महारानी से अपने किए अपराधों के लिए क्षमा मांगी और कहा आज से मैं प्रण लेता हूं कि आजके बाद मैं कोई भी युद्धनहीं करूँगा। न ही किसीसे शत्रुता रखूँगा। यह कहकर अशोक वहासे लौट आया।
युद्ध में हुवा मानवसंहार देखकर उसका मन विचलीत हुवा। अपने कृत्य का उसे पश्चाताप हुआ। अशोक का मन बदल गया। दुनिया को अपणी मुठ्ठी मे करने की उसके तृष्णा वही समाप्त हो गई। प्रेम व करुणा का झरना बहने लगा। भगवान बुद्ध का उसे स्मरण हुआ। हाथ से शस्त्रास्त्र छुटकर गिर गए। और शांतीप्रीय अशोक का जन्म हुवा। मानव जाति के इतिहास में पहले ऐसा हुआ नहीं था। अशोक का हृदय परिवर्तित कर दिया और
उन्हें बौद्ध धर्म का अनुयाई बना दिया। अशोक सब कुछ छोड़कर बौद्ध धर्म की शरण में चला गया।
( Samrat Ashoka Chakravartri Raja )
भारत के स्वतंत्र ध्वज पर आज जो अशोक चक्र दिख रहा है वही है है यह सम्राट। हम 4 अप्रैल को सम्राट अशोककी जयंती मनाते है। दुनिया के विश्व के इतिहास के मात्र एक शांति सम्राट। इसवी सन पूर्व लगभग 294 साल में उनका जन्म हुआ। अशोक मौर्यजी चक्रवर्ती अशोक सम्राट के नाम से जाना जाता है। जिसका अर्थ होता है सम्राटों का किताब भारतमें केवल सम्राट अशोक को मिला है। सम्राट अशोक मौर्य वंश के सबसे महान शासक थे। उन्होंने लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीपपर 268 ईसापूर्व से 232 ईसापूर्व तक राज किया। सम्राट अशोक विशाल साम्राज्यसे बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्धधर्म के प्रचार के लिए भी जाने जाते है। इतिहास के अनुसार अशोक बहुत कम उम्र में राजा बने थे । अशोक जब सम्राट बने तब वह युवक ही थे। इसीलिए वे वह सबसे युवा सम्राट है। उस समय का सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का लगभग संपूर्ण भारतसे भी बड़ा था।
samrat ashoka statchu |
अशोक के साम्राज्य की मुख्य राजधनी पाटलिपुत्र और प्रांतीय राजधानी तक्षशिला और उज्जैन थी। उनके ही समय में तक्षशिला नालंदा विक्रमशिला गांधार जैसे 30 विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई। इन विश्वविद्यालयोंमें विदेशों से भी छात्र शिक्षा पानेके लिए भारत आया करते थे। चक्रवर्ती अशोक एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक ने अखंड भारत पर राज किया। उनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिंदूकुश की पहाड़ियोंसे लेकर दक्षिण के समुद्री तट तक और पूर्वमें नेपाल, भूटान , बांग्लादेश से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान में अधिकांश भूभाग पर था। वह आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य रहा है। ऐतिहासिक जानकारीयोके अनुसार अर्थशास्त्रियोंकी मानें तो सम्राट अशोक के शासन के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत थी। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत की अर्थव्यवस्था की 35% की भागीदारी थी। सम्राट अशोक के सुशासन और उनकी ऊंची सोच के चलते उनके शासनकाल में जातिवाद जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी। कुछ शिलालेख सम्राट अशोक के शासनकाल में बनवा लिए गए थे और कुछ गुफाओं की दीवारों पर अभिलेख भी मिले है । यह आधुनिक बांग्लादेश, भारत अफगानिस्तान, पाकिस्तान और में जगह जगह पर मिलते हैं और बौद्ध धर्म के सबसे प्राचीन अस्तित्व के सबसे प्राचीन प्रमाणों में से एक है।
कलिंग का युद्ध :-
भारत के इतिहास में कैसे भीषण युद्ध लड़े गए जिन्होंने इतिहास को बदल कर रख दिया। मौर्य सम्राट बिंदुसार इन के बाद इसवी सन पूर्व 273 साल को वे मगध की राजगद्दी पर बैठे। अत्यंत बलशाली महावीर महापराक्रमी राजा सम्राट होने की लालसा से बहक गए। सम्राट अशोक अपने पूरे जीवन में एक भी युद्ध नहीं हारे। सम्राट अशोक ने अपने राज्य का विस्तार करने के लिए कलिंग राज्य पर आक्रमण किया था यह आक्रमण अशोक के राज्याभिषेक के 8 वे वर्ष सन 261 इसापूर्व में किया था। कलिंग का युद्ध सम्राट अशोक के नेतृत्व में लड़ा गया था। इस युद्ध ने अशोक के मन पर गहरा प्रभाव डाला था।
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शांतीप्रीय अशोक का जन्म :-
दूसरे दिन अशोकने खुद अपनी सेनाका नेतृत्व करते हुए , अपनी सेना को ललकारते हुए कहा, '' मेरे वीर सैनिकों यह युद्ध पिछले 4 वर्षों से चल रहा है। आज इसका अंत करने का दिन आ गया है। आज हमारी विजय का दिन आ चुका है। आज हम इस दरवाजे को खोलकर अपनी जीत का झंडा लहराएंगे''
चारों तरफ जयजयकार की आवाजें गूंज रही थी, और दरवाजा खोल दिया गया। परंतु दरवाजा खोलते हैं सभी चौक गए। क्युकी आगे कलिंगदुर्ग की महारानी पद्मिनी सैनिको के भेष में महिलाओंकी विशाल सेना में घोड़े पर सवार हुए, बदले की भावना लिए खड़ी थी। महारानी ने सभी महिला सैनिकोसे कहा "आज हम अपने राज्य पर हुए नरसंहार और अपने पतियों की मौत का बदला इन्हे मार कर लेना है। सभी युद्ध के लिए तैयार हो जाए। ''
सम्राट अशोक ने महारानी से पूछा "तुम कौन हो ?''
" तुम मेरे पति के कातिल हो, तुम्हे हमसे युद्ध करना होगा " महारानी ने ऊंची आवाज में कहा।
अशोक ने कहा "हम स्त्रियों के साथ युद्ध नहीं करते , यह अन्याय होगा।"
महारानी ने कहा " तुमने अपनी जीत के लिए, लाखों बेकसूर लोगों की हत्या करवा दी, ये कहा का न्याय है? लाखो का नरसंहार करकर तुम्हे अन्याय की चिंता होने लगी ?? ''
महारानी के कहे हुए शब्दों ने अशोक को अंदरसे सोचने पर मजबूर कर दिया। उसे अहसास हो गया था की यह उसने क्या कर दिया। उसने चारो तरफ नजर दौराही ,युद्ध में हुए नरसंहार को देखकर अशोक का दिल पिघल गया। उसका महत्वकांक्षा का मद उतर गया । और उसने झुकते हुए महारानी से अपने किए अपराधों के लिए क्षमा मांगी और कहा आज से मैं प्रण लेता हूं कि आजके बाद मैं कोई भी युद्धनहीं करूँगा। न ही किसीसे शत्रुता रखूँगा। यह कहकर अशोक वहासे लौट आया।
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अशोक के जीवन का आध्यात्मिक युग
सम्राट अशोक के जीवन का आध्यात्मिक युग शुरू हुआ | उनके जीवन में उन्होंने बदलाव लाया। अहिंसा तत्व का उन्होंने स्वीकार किया। और पंचशील तत्व का पालन शुरू किया। प्रजा के कल्याण हेतु काम शुरू हो गए शिकार करना बंद हो गया। रास्तों के दोनों तरफ वृक्षरोपन कीय गए। यात्रियों के लिए धर्मशालाएं बांधी। नगर मे बगीचे उद्यान बनाए गए। रोगियों के लिए दवा। रोगियों के इलाज के लिए अस्पता ल दवाखानों का निर्माण किया गया। कत्लखाने बंद हुए। भूतदया का भव्य सागर उफनकर आया। पशु हत्या रूक गई। अहिंसा धर्म का प्रचार करने के लिए भिक्षु संघ को भेजा गया। चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्व के सभी महान एवं शक्तिशाली सम्राटों एवं राजाओं की लिस्ट में हमेशा शीर्ष स्थान पर ही रहे हैं। सम्राट अशोक ने संपूर्ण एशिया में तथा अन्य आज के सभी महाद्वीपों में बौद्ध धर्म का प्रचार किया सम्राट अशोक के शिलालेख आज भी भारत के अनेक स्थानों पर दिखाई देते हैं।
उनका बेटा महेंद्र बेटी संघमित्रा सीलोन (श्रीलंका) यहां गए इजिप्त, सीरिया, चीन, जापान दुनियाभर में धम्म भिक्षु भेजे गए। भारतीय संस्कृति का अविभाज्य घटक अहिंसा अनेकों ताम्रपट, शिलालेखों, शिल्प इनमें से बुद्ध तत्वज्ञानव ऊनकी शिक्षा को तराशा गया। दुखी जनता की सेवा के लिए यह भिक्षूसंघ दिन रात कार्य करते रहे। भगवान तथागत गौतम बुद्धा के विचार उन्होंने पूरे विश्व में फैलाये। जग में दुख है उस दुख को हम ही कारण है। सम्राट अशोक एवं अहिंसा के सच्चे समर्थक थे इसलिए उनका नाम इतिहास के महान परोपकारी सम्राट के रूप में दर्ज हो चुका है। आत्म परीक्षण की साधना खुद अशोक ने की। सत्य और अहिंसा यह मूलतत्व के बुद्धचरित तत्वज्ञान पूरे विश्व भर में पहुंचाए। उनके पुत्र महेंद्र तथा पुत्री संघमित्रा ने बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य राजवंश लगभग 50 वर्षों तक चला।Image by pixabay.com |
सम्राट अशोक की मृत्यु का रहस्य
अशोक ने लगभग 40 वर्षों तक शासन किया। जिसके बाद लगभग 234 ईसापूर्व में उनकी मृत्यु हुई। उनकी मृत्यु कैसे और कहां हुई यह बात अभी तक एक रहस्य बनी हुई है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार सम्राट की मौत तक्षशिला में हुवी ,वहीं कुछ का कहना है कि सम्राट अशोक ने पाटलिपुत्र में अपनी अंतिम सांस ली थी। इसवी सन पूर्व 234 साल को अशोक निर्वाणअवस्था में पहुंच गए मुक्त हो गए।Image by pixabay.com |
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