कुत्तो के बारेमे कुछ रोचक बाते

         कुत्ता मूलवंश व उपयोग ( Dog breeds )
 इंसान जानवर पालते है।  उनके दो प्रकार है। कुछ जानवर अपन जीवन में आनंद निर्माण करने के लीये , तो कुछ जरुरत क लिए पालते है।  इस्त्राएल में एक समाधी है। उसकी खोज मे इंसांन के साथ में एक कुत्ते का भी शव मिला है।  लगभग १२००० साल पहले की वह समाधी  होगी।  कुत्ता , बिली , पंछी , मुर्गिया , गाय , बैल  , भैस,  सुअर , बकरी , भेड़ ऐसे जानवर इंसान पालता था।  उनमे कुत्ते का स्थान अहम्  था।
 
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    दुनिया के लगभग सब जानवर यह किसी ना किसी अन्य जानवर के वंशज होते हैं। कुत्ता और उस बिरादरी के अन्य प्राणी यह लोमड़ी या सियार जैसे एक प्राचीन प्राणी जाने से निर्माण हो गए हुए। इस प्राणी का नाम  टोमारक्टस (tomaractous ) ऐसा है।  प्राचीन काल के इस प्राणी को कुत्ते का जनक कहते हैं।
यह प्राणी 15,000,000 वर्ष पूर्व से जंगल में रहता था।   यह प्राणी मियाकिस ( Miacis) नाम के एक प्राणी से उत्पन्न हुआ।  इसका  कार्यकाल 40,000,000  वर्ष  ईतना पुराना है।  यह प्राणी भालू वगैरह जानवर का दूर का पूर्वज कह सकते हैं। इस प्राणी को कुत्ता जाति के करीब के रिश्तेदार कह सकते हैं।
    अभी कुत्ता कुत्ते के बारे में मनुष्य को बहुत प्रेम लगता है। और उसको घर में भी पालते हैं। उसके साथ साथ मनुष्य को सियार लोमड़ी आदि प्राणियों के बारे में डर और तिरस्कार लगता है। सियार लोमड़ी यह जंगली कुत्ते जैसे होते हैं।  परंतु वे  पालतू कुत्तों के  भाई बहन ही है। यह सब प्राणी कुत्ता जाति के अनीस  (anis ) इस बीज के है। यह सब एक दूसरे से नाते से इतने मिलजुल गए हैं ; कि कुत्ता और सियार लोमड़ी और जंगली कुत्ते एक दूसरे के साथ सहयोग कर सकते हैं। कैनाइन (canine) इस वंश के उनके रिश्ते नाते है।
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   प्राचीन काल में मनुष्य ने इनमें से कुछ जंगली जातियों को मनुष्य के साथ घुल-मिल कर पालतू बनाया। इन जातियों में कुछ लोमड़ी के बच्चे होंगे या फिर किसी और जानवर के बच्चे भी हो सकते हैं। मनुष्य को पता चला कि यह बहुत उपयोगी प्राणी है। मनुष्य की सांस्कृतिक और भौतिक दृष्टि से सुधारना होती गई। घर और जानवर इनका वह मालिक बन गया।  तब उसको पता चला कि कुत्ता यह प्राणी एक प्रामाणिक मित्र है। और घर और जानवर पालतू जानवर के संरक्षण के लिए बहुत ही उपयुक्त है। उसके बाद कुत्तों के विविध जातियों की पैदा की जाने लगी। लंबी नाक वाली कुत्तों की जात यह खुशबू से शिकार पहचानने वाली , तीक्ष्ण दृष्टि और चपल है।  पालतू जानवरों का पीछा करने वाली , तगड़ी विराट कुत्ते की जात यहां छोटी गाड़ियां खींचने वाली और बाकि  कुत्तों की जात घर की और खेती की पहरेदारी करने वाली ऐसे विविधा पद्धति से तो का उपयोग किया जाने लगा। इस तरह से अलग-अलग काम के लिए अलग-अलग कुत्तों की जातियां उपयुक्त मिलने लगी।  आज कुत्ता इंसान का अच्छा मित्र बन गया है।


कुत्ते की तेज नाक
     सूंघने की शक्ति के बारे में अगर बात करें तो इंसान की तुलना में जानवर की नाक अधिक तेज काम करती है।  इंसान से कुत्ते की शरीर रचना अलग प्रकार की होती है।  इसकी वजह से उस मैं सूंघने की क्षमता अधिक होती है। इसी के परिणामवश  मनुष्य की तुलना में कुत्तो को खुशबू या बदबू अधिक प्रमाण में जल्दी ही और तेजी से आती है।  इसी शक्ति का उपयोग कुत्ते खाना चुनने के लिए , शत्रु का पीछा करने के लिए, मित्र पहचानने के लिए, और अपने रिश्तेदारों से संबंध रखने के लिए और दुश्मनी व्यक्त करने के लिए करते हैं।
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       रसायन शास्त्र की दृष्टि से गंध के बारे में हम सोचते हैं ; तो गंध ग्रहण को रासायनिकग्यान और उसके लिए इस्तेमाल किए जाने वाले शरीर के हिस्से को रासायनिक गंधग्राहक कहते हैं।  शास्त्रज्ञों ने कुत्ते की नाक का अध्ययन किया।  परंतु कुत्ते की नाक की रचना से कुछ भी पता  नहीं चलता।  की गंध आने की प्रक्रिया कैसे होती है ;यह भी स्पष्ट तरीके से समझता नहीं है।


  कुत्ते में विशेषता गंध  सुंघने की प्रक्रिया कैसे होती है?
      कुत्ते के नाक की रचना में ऐसी कोई भी विशिष्ट जगह या हिस्सा नहीं दिखता कि जिससे गंध आ सके।   नाक में उपस्थित ग्रहण केंद्र  और दिमाग की तरफ जाने पहुंचाने वाले तंतु उनमे इतनी सूक्ष्मता होती है कि उसके बारे में रिसर्च करना मुश्किल हो जाता है।  यह ग्रहण केंद्र इंसाaन के साथ साथ सभी सस्तन प्राणीयो में होता है ; जो की नाक के अंदर के हिस्से में स्थित होता है।  कुत्ते की गंध ग्रहण केंद्र  मनुष्य के गंध ग्रहण केंद्र से बड़ी होती है। इसके सिवा कुत्ते के नाक में गीलापन ज्यादा रहता है। इस वजह से उसे गंध ग्रहण करना आसान हो जाता है।

     कोई भी खुशबू बदबू आए तो उसका पता लगाए बिना कुत्ता आगे नहीं जाता। कुत्ता खुद की रक्षण मर्यादा निश्चित करके अतिक्रमण करने के लिए विरोध करता है। कुत्ते की गंध पहचानने के की शक्ति का उपयोग मनुष्य ने बेशुमार कीया है l
    जैसे शिकार करना, घर की, खेत खलिहान, गोदाम की रखवाली करना, और मुजरिमों का पीछा करने के लिए, हथियार, गोला, बारूद, सुरंग की खोज लगाने के लिए।  चोर, हत्यारा, मुजरिम का पीछा कर कर उसे पकड़ने के लिए।  एेसी कइ जगह कुत्ते  के सिवा काम नही चलता।

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 कुत्तो की प्रजातियां
कुत्तो की प्रजातियों पर दुनिया में पहलेसे कई संशोधन होते हुवे आये है।  दुनिया में मौजूद विविध प्रकार की नस्लों से नई नस्लों का निर्माण करने का काम आज भी जारी है।  भारत में कुत्तो की देसी नस्ल को ज्यादा पसंद किया जाता है। पर आज के काल में विश्व में कुत्तो की कुल 400 से भी ज्यादा प्रजातियां है। उनमेसे ज्यादातर पाली जाने वाली लैब्राडोर , जर्मन शेफर्ड , मालटिस ,बीगल्स , गोल्डन रिट्रीवर्स , न्यूफ़ाउंडलैंड डॉग,  पैमब्रोक वेल्श कॉरगिस, पूडल्स, पुर्तगीज वाटर डॉग, पेम्ब्रोक वेल्श कॉर्गिस, पुडलसा  अदि मुख्य प्रजातियां है।
कुत्तो के प्रजनन पर होनेवाले विभिन्न प्रयोगो से कुछ भयंकर प्रजातियों ने जन्म लिया है।  हमारे भारत देश में कुत्तो की कुछ चुनिंदा प्रजातियां पालने पर बैन है। जो इन्सान के लिए खतरा साबित हुवी है।

 कुत्तो का इंसान के प्रति लगाव 

कुत्तो की ईमानदारी के किससे आपने सुने ही होंगे।  इंसान जितना प्यार अपने पेट्स से नही करता उससे कई गुना ज्यादा प्यार कुत्ते अपने मालिक से करते है।  अपने मालिक के प्रति वे बेहद वफादार होते है।  कुछ नस्ल के कुत्ते तो अपने मालिक के रोजाना के काम में भी मदत करते है।  उनकी बाते समज़ते है।  उनका ख्याल रखते है।  मालिक पर कभी गुस्सा होते है , कभी रूठ भी जाते है।  अगर आप किसी कुत्ते को अच्छी तरह से पालेंगे उसका ख़याल रखेंगे। उसे प्यार देंगे तो वह कुत्ता आपके प्रति कई ज्यादा वफ़ादार रहेगा।  आप किसी मुसीबत में पड़  जाये तो यही कुत्ते अपनी जान की बाजी लगाकर उस मुसीबत से आपको छुड़ायेगा।  मालिक की रक्षा करते हुवे कुत्ता मारा गया या जख्मी हो गया ऐसे बहोत से किस्से घटित हुवे है।  वो हम आपको बताएँगे हमारे अगले आर्टिकल में।
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