गाॅगल की केयर ना करना पड़ सकता है महंगा।।

गाॅगल की सनग्लासेस की केयर कैसे करें ? नंबर के चश्मे की देखभाल ना करने से होनेवाले दुष्परिणाम ? चश्मे की केयर कैसे करें ? (How to care your, goggeles, sunglasses , spectacles)  
 गाॅगल की सनग्लासेस की केयर कैसे करें ?
समर में सूरज की तेज किरणों से आंखों का बचाव व संरक्षण करने के लिए सन गाॅगल बड़ा महत्व रखते हैं। जो लोग रेगुलर चश्मा लगाते हैं, उसकी देखभाल करना भी अति आवश्यक है । वक्त वक्त पर गाॅगल की देखभाल ना करें तो वह खराब हो जाता है और आपकी आंखों पर भी उसका परिणाम हो सकता है। जी हां दोस्तों अगर आप रेगुलर ली अपने चश्मे की देखभाल ना करते हो तो आपकी आंखों के लिए बहुत नुकसानदेह हो सकता है। चश्मे की देखभाल ना करने से आपको आंखों में इंफेक्शन, सिर दर्द, आंखों में जलन, आंखों से पानी आना, भेंगापन, आंखों का नंबर बढ़ना इन शिकायतों का सामना करना पड़ सकता है।

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Image from-pixabay.com
1) गॉगल को हमेशा को हमेशा clean कॉटन से, या मलमल जैसे सॉफ्ट कपड़े से साफ करें। अगर आप हार्ड कपड़ा जैसे टावेल, वुलन, जींस जैसे कपड़े का प्रयोग करते हैं तो ग्लास पर स्क्रैच आ जाएंगे। जो कभी नहीं मिटेंगे। 2) कई बार ग्लासेस पर धूल की परत, पानी के छींटे गहरे हो जाते हैं। ग्लासेस पर धूल लगा हुआ गॉगल इस्तेमाल करना आंखों के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। उसे हमेशा साफ रखना जरूरी है।
3) ग्लासेस को साफ करने के लिए मार्केट में कई तरह के क्लीनर, लिक्विड,पाउडर क्लॉथ मिलते हैं। आप ग्लास क्लीनर सोलयुशन का प्रयोग करके अपने गलासेस को क्लीन बना सकते हैं।
4) महीने में एक बार बाऊल में गर्म पानी ले। उसमें नहाने का साबुन या टूट पेस्ट डालें। कुछ देर के लिए अपना गॉगल उसमें छोड़ दे। उसके बाद नल के नीचे उसे पकड़कर धोये। धोने के लिए अगर आप को डिटर्जेंट का उपयोग उपयोग करना है तो वह , ब्लीच विरहित होना चाहीये।

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5) नल की तेज धार के नीचे 3/4 मिनट तक ग्लासेस को पकड़कर रखें। उससे उसके कोनों में बैठी हुई धूल पूरी तरह से सांफ होगी। यह क्रिया महीने में एक बार करना जरूरी है। 6) कई लोग ग्लास को साफ करने के लिए उसे मुंह के सामने पकड़कर उस पर मुंह की भाप छोड़ते हैं। उसे गिला करते हैं। बाद में शर्ट से साफ करते हैं। यह गलत है। ऐसा कभी ना करें। 7) जब आप दुकान से आॅप्टीकल से या चौराहे से गाॅगल खरीदते हैं। तो वह आपके लिए कैसा दिखता है यह तो देखिए,पर सूरज की तेज किरणों से वह आपके आंखो की कितनी रक्षा कर पाता है, तेज कीरने रोकने कि उसमें कीतनी क्षमता है यह भी जांचीये। 8) पर्स मे पॉकेट में नोकीली चिजो के साथ खुला गाॅगल रखने से गाॅगल पर स्क्रैच आ सकते हैं। गाॅगल टूट-फूट भी सकता है। इसीलिए गॉगल को ऐसी चीजों से चीजों के समीप ना रखें। जैसे चाबी,किचन,पेन, नेलकटर, चार्जर, हेयर पिन आदि से दूर रखे। 9) गोगल पर चश्मे पर धूल बैठने के कारण वह खराब होता है। तो उसे बार-बार साफ करें। माइक्रो फाइबर कपडे या मलमल के कपडे से साफ करते रहिए।
10) गाॅगल जब आप खरीदते हैं तब उसके साथ माइक्रो फाइबर पाउच या बॉक्स ले। वह फ्री मिलता है। जब आप गाॅगल का यूज ना करते हो तब उसे उसमें रखे। 11) पोछने के लिए कागज का टिश्यू पेपर का जाडे कपड़े का, जींस कपडे का प्रयोग कभी ना करें। टेरीकाॅटन या काॅटन के कपडे का प्रयोग कर सकते हैं।
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नंबर के चश्मे की देखभाल ना करने से होनेवाले दुष्परिणाम ?

 गाॅगल या सनग्लासेस के मुकाबले चश्मे को संभालना ज्यादा मुश्किल होता है। आपके चश्मे के काच पर हर रोज धूल बैठती है। कचरा बैठता है। कभी पानी के छींटे उड़ जाते हैं। कभी कोई लिक्विड लगता है। तो वह अगर साफ नहीं करते तो आपको धुंधला दिखाई देता है। इसका परिणाम आंखों पर होता है। इसीलिए चश्मे को हर रोज साफ करना जरूरी होता है। कई लोग ग्लासेस साफ करने के लिए जाडा कपड़ा, जींस कपड़े का या शर्ट का इस्तेमाल करते हैं। उसे से धूल ठीक से साफ होती नहीं। पर ग्लासेस पर स्क्रैच गिर जाते हैं। ईन स्क्रॅचेस वजह से धुंधला दिखाई देने लगता है और आंखों को उसकी आदत हो जाती है। आंखों को वैसा देखने की आदत हो जाती है जो कि सही नहीं है।

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कई लोग चश्मे को पॉकेट में या बक्से में ना रखकर कहीं भी रख देते हैं। उसकी वजह से भी काच पर स्क्रैच आ जाते हैं। टूट फुट सकता है।  चश्मे पर सबसे ज्यादा धूल बैठने वाली दो जगह होती है नोजपैड । नोजपैड पर और उसके नीचे चिपकी हुई धूल आसानी से साफ नहीं होती। नोजपैड के अंदर की तरफ धूल की सतह पर सतह बनते चले जाते हैं। लेयर पर लेयर बनते चले जाते हैं। आपका चष्मा अगर किसी मेटल का है तो उनके साथ मेटल की रासायनिक अभिक्रिया होकर धूल का कलर हरा हो जाता है। और उसमें कई तरह के बैक्टीरिया पनपने लगाए जाते हैं। यह बेक्टेरीया आपकी आंखों के लिए नुकसानदायक है। इसीलिए इस धूल को साफ करना बहुत ज्यादा जरूरी है।


जिन लोगों का एक दो नंबर का चश्मा हो उनके लिए गॉगल यूज़ करना आरामदेह होता है। पर जिन लोगों का नंबर ज्यादा है जैसे कि +8 ,+ 10 ,+ 15 या डबल कांच गिलास हो ; उन लोगों के चश्मे का वजन बहुत ही ज्यादा हो जाता है। 100 gm से लेकर 300 ग्राम तक मतलब लगभग पौना किलो हो जाता है।
हमारा चश्मा इस तरीके से डिजाइन किया होता है कि चश्मे का आधा वजन कान पर आए और आधा वजन नाक पर आए। पर होता यह है कि डेली लाइफ की भाग दौड़ में हम चश्मे का ठीक से ख्याल नहीं रख पाते। रात को सोने से पहले चश्मा न निकालना, चश्मा पहन कर सोना, या सोते वक्त कहीं भी रख देना, नींद में चश्मे पर सो जाना , गद्दे के नीचे रखना, बैग में खुला रखना। उसके ऊपर लेटना या बैठ जाना, गॉगल पहनकर मस्ती करना, बस में लोकल में ट्रेन की भीड़ में चेहरे को चश्मे को धक्का लगना, या गोगल के साथ खेलना इसकी वजह से टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है। उसकी एक दंडी कान से चिपकी रहती है तो दूसरी दूसरे कान के ऊपर आ जाती है। चश्मे का पूरा दबाव नाक पर पड़ता है। नोजपैड के गहरे निशान नाक पर आ जाते हैं आंखों पर भी इसका बुरा असर होता है। चश्मा एक तरफ झुक जाता है। या फिर एक आंख के नजदीक रहता है।, दूसरी आंख के आंख से दूर रहता है। कई लोगों को इस बात का पता भी नहीं चलता कि वह टेढ़ा चष्मा पहन रहे हैं। धीरे-धीरे उन्हें और उनकी आंखों को चष्मे की इस पोजीशन की आदत हो जाती है। और इसके द्वारे 3 भयंकर दुष्परिणाम जन्म ले लेते हैं।

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1 ) नजर कमजोर होना :-
तेढा चष्मा पहनने से आंखों को धुंधला दिखाई देने लगता है। पर इसका हमको पता नहीं चलता दोनों आंखों से मिलकर रेटीना दिमाग के अंदर एक तस्वीर बनाता है। चष्मे के ग्लास गलत की पोजीशन की वजह से वह तस्वीर डिस्ट्रिक्ट होने लगती है। दोनों आंखों के सेंसर का कोई तांत्रिक तालमेल नहीं रहता। इसकी वजह से सिर दर्द, चक्कर आना, आंखों से पानी बहना, काम दिखना ऐसी परेशानियां होती है। आपकी आंखों का मूल नंबर धीरे-धीरे बदलने लगता है। आपको उसकी आदत हो जाती है। कुछ महीने बाद आप चश्मे को ठीक कर आए पूर्व पोजीशन पर लाए तो आप ठीक से देख नहीं पाते क्योंकि आपकी आंखें उस पुराने काच की पोजीशन के हिसाब से खुद को एडजस्ट कर लेती है। आप जब पुराने तरीके से चश्मा तेढामेढा करके आंखों को लगाएंगे तभी आप ठीक से देख पाएंगे। तभी आपको अच्छा लगेगा। नहीं तो आपको फिर डॉक्टर के पास जाकर दोबारा चेकअप करवा कर नया एंगल, नया नंबर का नया चश्मा बनवाना पड़ेगा। तभी आप ठीक से देख पाएंगे।

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2 ) भेंगापन:-
जब आप तेढा चश्मा पहनते हैं, तो ग्लासेस का एंगल बदल जाता है। और एक ग्लास आंखों के नजदीक एक ग्लास आंखों से दूर हो जाता है। एक ग्लास आंखों के नीचे एक गिलास आंखों के ऊपर हो जाता है। तो इसकी वजह से आंखों की पुतलियां भी उसी एंगल का कोन धारण कर लेती है। इसकी वजह से क्या होता है कि आंखों की पुतली एक तरफ खिसकते चली जाती है। कई बार टेढ़ा चश्मा वर्षों तक पहनने से दोनों पुतलियां दोनों तरफ से ऊपर नीचे की खिसकती चली जाती है। इसे भेंगापन कहते हैं। आप तस्वीर में देख सकते हैं दोनों पुतलिया विरुद्ध दिशा में मुद चुकी है । भेंगापन होने के वैसे कई मुख्य कारन है। पर टेढ़ा चश्मा पहनने से भी यह होता है। इसीलिए चश्मा सीधा पहनना बहुत जरूरी है। 

3 ) नाक पर जखम या निशान गिरना :-
अगर आपके ग्लास जाडे हो, आपके चश्मे का वजन ज्यादा है तो आपकी नाक पर दोनों तरफ नाक पर दबाव गिरता है। और नाक के दोनों तरफ की त्वचा अंदर धस्ते चली जाती है। वहां निशान पड़ जाते हैं। नोजपेड के नीचे की त्वचा कमजोर हो जाती है। अगर ज्यादा दिन तक वहां ऐसे ही दबाव गिरता रहा और उस त्वचा को गलती से दबाया ,खींचा, मसला गया , या फ्रेश होते वक्त रब किया तो वहां की स्कीन निकल जाती है। और वहां पर जख्म हो जाता है। वहां पर दबाव देने से वहां की त्वचा छिल सकती है। जख्म गहरा भी हो सकता है।
जख्म होने के बाद आप चश्मा नहीं पहन सकते। पहनने पर तकलीफ होगी। नोजपैड पर लगे हुए बेक्टेरीया उस में प्रवेश करने से आप को गंभीर इंफेक्शन हो सकता है। तो इसलिए नोजपैड और उसके नीचे का मेटल हमेशा साफ रखें। नल की तेज धारा में पकड़कर सारी धूल मिट्टी निकाल ले।


चश्मे की केयर कैसे करें ? 
1) आप का नंबर 8:00 या 10:00 से ऊपर है तो फाइबरग्लास लिजिए। हल्के वेट की फ्रेम का चुनाव कीजिए।
2) हर रोज आईने के सामने सीधे खड़े रहेंके अपने चष्मे को देखिए। उसे ठीक पोजीशन पर सेट कीजिए। फिर बाएं मुड़ के देखिए गर्दन नीचे करके देखिए चष्मे को ठीक पोजीशन में सेट करके ही घर से बाहर निकले। 
3) हमेशा अपने हाथों से उसे सेट कीजिए। अगर आपसे वह बराबर सेट नहीं होता तो ऑप्टिकल की दुकान पर जाकर उसे सीधा करवाइए।
4)अपनी नाक पर कम से कम दबाव आए और कान पर ज्यादा आए  इस तरह से चश्मा पहने।
5) चष्मातेढा ना हो इसका ध्यान रखें। बस ट्रेन की भीड़ में उसे निकाल कर रखे। सोने से पहले चश्मा उतार ले। सेफ जगह पर रखें।
6) अगर आप आपने चश्मे क हमेशा ध्यान राखते हो, जिससे वह कभी टेढ़ा मेढा नहीं होगा। और उसे बार बार सीधा करने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी।
7) हर महीने ऑप्टिकल की दुकान पर जाकर एंगल ठीक करवाएं।


चश्मे को साफ कैसे करें ? 
1 ) ग्लासेस पर लगी धूल हमेशा साफ करते रहिये।
2 ) हफ्ते में एक बार चश्मे को पूरी तरह से क्लीन कीजिए।
3 ) ग्लासेस को साफ करने के लिए मार्केट में कई तरह के क्लीनर, लिक्विड,पाउडर क्लॉथ मिलते हैं। चश्मा क्लीन करने के लिए क्लीनर सलूशन का इस्तेमाल कीजिए।
4 ) महीने में एक बार बाऊल में गर्म पानी ले। उसमें नहाने का साबुन या टूट पेस्ट डालें। कुछ देर के लिए अपना गॉगल उसमें छोड़ दे। उसके बाद नल के नीचे उसे पकड़कर धोये। धोने के लिए अगर आप को डिटर्जेंट का उपयोग उपयोग करना है तो वह , ब्लीच विरहित होना चाहीये।
5 ) चश्मे को हमेशा को हमेशा clean कॉटन से, या मलमल जैसे सॉफ्ट कपड़े हल्के मुलायम कपड़े से साफ करें। अगर आप हार्ड कपड़ा जैसे टावेल, वुलन, जींस जैसे कपड़े का प्रयोग न करे
5 ) बैग में खुला ना रखे । जब आप खरीदते हैं तब उसके साथ माइक्रो फाइबर पाउच या बॉक्स ले। वह फ्री मिलता है। जब आप गाॅगल का यूज ना करते हो तब उसे उसमें रखे।
6 ) चश्मे का नोज़पैड और दंडीया हमेशा साफ रखें।
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