लहसुन को पुरातन काल से औषधी के रूप में इस्तमाल किया जाता आ रहा है। भारत मे मध्येशिया से आया है। इसकी एक खास गंध और स्वाद बहुत ही तीखा होता है। यह गाठो के रूप मे आता है। आपको पता नही होगा इसकी पत्ती ,तना और फुलोका भी उपयोग किया जाता है। इसकी तीखी गंध की वजह से कुछ लोग इसे खाना पसंद नहीं करते। लहसुन मे पाये जाने वाले सल्फर की वजह से इसके इसका स्वाद तीखा होता है। आयुर्वेद और रसोई दोनोके हिसाब से यह एक महत्वपूर्ण फसल है। चीन के बाद भारत का लहसुन उत्पादन करणे मे दुसरा स्थान है। लहसून मे विभिन्न प्रकार के पोषक तत्त्व पोषक हमे मिलते है। प्रोटीन 6.3 प्रतिशत वसा ६. १ प्रतिशत , कॅल्शियम ०.३ प्रतिशत होता है। नियमित रूप से लहसुन की कलिया हररोज खाने से हृदय रोग से बचा जा सकता है। लहसून की खेती दुनियाभर मे होती है। और यह सालो के बारह महिने मिलता है।
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* लहसुन में सल्फर व सेलेनियम होता है। साथ साथ एलिकिन नामक औषधीय तत्व पाया जाता है । एलिकिन में जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं. यह इंफर्टिलिटी से बचाव करता है।
* लहसुन में अनेको प्रकार के वीटमिन और पोषक तत्व भी होते है। इसमें वीटमिन B1, B6 और C के साथ-साथ म्यागनीज़ कैलशियम, कॉपर , सेलेनियम और अन्य जरूरी पोषक तत्व पाये गए है। जोकि इंसानी शरीर के लिए बेहद जरूरी है।
* हर रोज कमसे काम एक लहसुन की कली का सेवन करने से आप टीबी की बीमारी से दूर रह सकते है । लहसुन एक कीटाणुनाशक है, यह एंटीबायोटिक दवाओं का एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि लहसुन के कारण टीबी के कीटाणु ख़त्म हो जाते है। और लहसुन की एंटीबायोटिक मारक क्षमता हमें टीबी व उसके जैसे रोगो से हमें बचती है।
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* लहसुन के सेवन से शरीर में जमे विषयुक्त पदार्थ बाहर निकलने में मदत मिलती है। लहसुन एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। रोजाना खाली पेट लहसुन खाने से दिल की बीमारिया दूर रहती है , व पाचनतंत्र भी ठीक रहता है। लहसुन के सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इससे शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
हाई बीपी यानी उच्च रक्तचाप के मरीजों को लहसुन खाने से हाय बीपी से आराम मिलता है। लहसुन का सेवन कोलेस्ट्रॉल लेवल को मेंटेन करता है।
पेट से जुड़ी हुवी बीमारियों जैसे डायरीया और कब्ज की रोकथाम में लहसुन बेहद फायदेमंद है। इसमें मौजूद फायबर की वजह से यह पेट के लिए लाभदायक सिद्ध होता है। लहसुन में मौजूद एलीमीसिन तत्त्व से मोटापा भी नियंत्रित रहता है।
सरदर्द को दूर करने के लिए लहसुन उपयोगी है। 20 ग्राम सरसों के तेल में एक लहसुन का 4 कालिया डालें। इस मिश्रण को थोड़ागर्म करें और तेल से मालिश करें, सिरदर्द बंद हो जाएगा।
अस्थमा के मरीजों के लिए लहसुन बेहद लाभदायक है। लहसुन अस्थमा के रोगियों के लिए एक उपयोगी औषधि है। अस्थमा अटैक व क्रॉनिकल ब्रोन्कियल के लिए चीनी, पुदीना व लहसुन का पानी में मिश्रण करके पिए। इसके अलावा 30 मिली दूध में पांच लहसुन कालिया डालकर दूध गर्म करें। प्रतिदिन गर्म दूध पीने से अस्थमा की समस्या कम होगी। अदरक की चाय में थोड़ा लहसुन डालकर अस्थमा को नियंत्रित किया जा सकता है।
तम्बाखू गुटखा खैनी खानेवाले लोगो को तम्बाखू की गंदी आदत छोड़ने में लहसुन बेहद कारगर है। रोजाना लहसुन की ४ कलियोका अदरक के साथ सेवन करने से तम्बाखू की तलब में कमी आती है। इसमें मौजूद सल्फर गुटखा खाने वालो के खून में निकोटिन लेवल नियंत्रित करता है। जिससे तलब कम लगती है।
लहसुन का रोजाना भोजन में इस्तेमाल करने के साथ साथ भोजन के पहले या बाद में भी इसको कच्चा सेवन करना बेहतर होता है। सबसे पहले लहसुन के छिलके निकल लें, एक लहसुन को 3 से 4 टुकड़ों में काट लें। भोजन के बाद, लहसुन के दो टुकड़े मुंह में लें और ३० मिनिट के बाद पानी पिये। जीन लोगोको लहसुन का तीखा तीव्र उत्तेजक स्वाद पसंद नहीं वे लहसुन का पेस्ट बनाकर सीधा पानी के साथ निगल सकते है।
स्मरणशक्ति बढ़ानेके के लिए रोजाना तीन लहसुन की कालिया , १० तुलसी के पत्ते और २ चम्मच शहद को मिश्रित करकर। उसका रस २० दिनों तक सेवन करे।
खेती के लिए भी लहसुन उपयुक्त
खेती में फसलों पर बढ़्नेवाले किटक, आलियो को मरनेके के लिए एवं फसलों पर मौजूद रोगो का बंदोबस्त करने में लहसुन कीटनाशक की तरह काम करता है। पूर्णता जैविक / प्राकृतिक कृषि तंत्र में लहसुन का व अन्य सामग्री का इस्तेमाल करके उसका घोल तैयार किया जाता है। और उसका छिडकाव रोग ग्रसित फसल पर किया जाता है। ऐसा करनेसे फसल पौधों परके कीड़े नष्ट हो जाते है। यह तरीका बिना नुकसान किये अपनाया जा सकता है।
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