यादें खगोल वैज्ञानिकों की -2

सर आइज़क न्यूटन (Isaac Newton)

       पेड़ पर लगा हुआ सेब गिरता देखकर सर आइज़क न्यूटन को गुरुत्वाकर्षण के बल का साक्षात्कार हुआ था।  यह इंग्लिश शास्त्रज्ञ बहुत ही कार्य मगण , मेहनती और बहूप्रसव संशोधक थे। न्यूटन के जीवन के अनेकों किससे है। कुछ बोले बोधप्रद  है, कुछ मजेदार है। वे अपने आप में एक अलग ही महान हस्ती थी।  अपने कार्य में इतने खो जाते थे कि उनको आसपास की घटनाओं का पूरी तरह से __ हो जाता था। यहां तक कि उनके उनको अपने खाने-पीने की भी सुध नहीं रहती थी।  आज उनकी ही कुछ किस्से आप यहां पढेंगे।
sir-Isaac Newton-
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          न्यूटन ने एक बिल्ली पाल के रखी थी न्यूटन अध्ययन में गुंग रहते थे। प्रयोगशाला में प्रयोग करते रहते थे।  तभी वह बिल्ली उनके आसपास घूमती रहती थी। उनकी प्रयोगशाला का दरवाजा हमेशा बंद रहता था। बिल्ली के आने के बाद उन्हें खोलना पड़ता था। फिर से बंद करना पड़ता था।  अब बिल्ली एक जगह पे टिका रहनेवाला  जानवर तो नहीं है। बिली के आनेजाने से उनके अध्ययन में खलल पड़ता था। इसकी वजह से उन्होंने प्रयोगशाला के दरवाजे को एक बड़ा सा छेद कर दिया। न्यूटन जब काम में रहते थे तब वह बिल्ली दरवाजे के छेद से अंदर बाहर आया जाया करती। कुछ दिन बाद उस बिल्ली ने कुछ बच्चों को जन्म दिया। फिर न्यूटन ने उसी दरवाजे के छेद के बाजू में एक दूसरा छोटा छेद कर दिया ताकि उसके बच्चे आ जा सके। जब लोगों ने वह छेद देखा तो लोग हंसे पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। एक दिन न्यूटन का एक दोस्त उनके घर आया। उसे दरवाजे के वहां दोनों छेद देखकर आश्चर्य हुवा। उसने पूछा यह दो छेद किस लिए ??  न्यूटन ने जवाब दिया बड़ा छेद मेरी बिल्ली को अंदर बाहर जाने के लिए और छोटा सा छेद उसके बच्चों के लिए।
 दोस्त हंसा और उसने कहा "जिस बड़े छेद से बिल्ली अंदर बाहर आ जा सकती है, उसी क्षेत्र से उसके बच्चे भी तो आजा सकते हैं ! छोटा छेद करने की जरूरत ही नहीं थी।
 न्यूटन ने स्मितहास्य किया , उनकी ध्यान में यह बात आई थी।  उन्होंने मुस्कुराकर कहा "
जिस रस्ते से मां आ जाती है, उसी रास्ते से बच्चों ने आ जाना चाहिए ऐसा थोड़ी है ; दोनों के रास्ते अलग अलग भी तो हो सकते हैं।
      न्यूटन एक तत्व चिंतक थे। उनकी सोच दुनिया से अलग थी।


  सर अल्बर्ट आइंस्टाइन  (Albert Einstein)

    न्यूटन की तरह अल्बर्ट आइंस्टाइन का जीवन नहीं अनेक किस्सों से भरा पड़ा है।  यह किस्से मजेदार तो है ही साथ में उन वैज्ञानिको के अंतर्मन और उनकी प्रतिभा पर भी प्रकाश डालनेवाले होते है।  अल्बर्ट आइंस्टाइन के जीवन में घटित कुछ किस्से हम यहाँ पढ़ेंगे।

पहला किस्सा :-
  अल्बर्ट आइंस्टाइन  के सापेक्षता वाद का बहुत ही बोलबाला हुआ तब की बात है। पड़ोसी के एक बच्चे को सापेक्षता वाद क्या है यह सही तरीके से समझता नहीं था। उसने सीधा आइंस्टाइन  से पूछा सर या आपका
E=mc2 सूत्र जिसका है, वह सापेक्षता वाद क्या है ? मुझे समझता ही नहीं है।
    न्यूटन ने कहा "बच्चे समझो तुम्हारा हाथ अगर गरम तवे पर गिरा, तो तुम क्या करोगे ? जल्द ही तवे से हटा दोगे।  है ना ? "
 "बिल्कुल " बच्चे ने कहा
वही तुम्हारा हाथ अगर किसी सुंदर लड़की के हाथ में होगा तो ? आइंस्टाइन ने कहा।
उस लड़के ने शर्मा के हस दिया।  उसको सापेक्षता वाद समझ गया था।
क्या आपको समझा ?

दूसरा किस्सा :-
       आइंस्टाइन अमेरिका के जिस सोसाइटी में रहते थे। वहा उनके घर के पास उनकी कामवाली /मेड का घर था। उस मेड को एक बच्ची थी। वह स्कूल में जाती थी। उसको कभी कभी गणित में  प्रॉब्लम्स आते थे। उसकी पहचान आइंस्टाइन से होगई। आइंस्टाइन उसकी मदत करने लगे।  गणित के प्रॉब्लम्स सुलझाने के लिए वह हमेशा न्यूटन के पास आती थी।  एक दिन उसकी मां ने पूछा तुझे गणित कौन सुलज़ाके देता है ?
लड़की ने उत्तर दिया " पास ही के बंगले में एक बूढ़ा बाबा रहता है न ,उनकी बड़ी-बड़ी मूछें है ,बिखरे बिखरे बाल है। पर मम्मी उनका मैथ्स बहुत अच्छा है। "
  उस औरत के ध्यान में आया कि अपनी बच्ची विश्वविख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन के पास गणित समझने के लिए जाती है। वह हड़बड़ाई और दौड़ते हुए आइंस्टाइन के पास गई। उसने कहा " साहब मुझे माफ कीजिए मेरी बच्चे नादान हैं , वह आपको बहुत ही तकलीफ देती है। अब वह दुबारा नहीं आएगी इस बातका मै  ध्यान रखूंगी।
 आइंस्टाइन ने मुस्कुराते हुवे कहा "मैडम उसे आने दीजिये ,आपकी बच्ची जब भी आती है तब हर बार मेरे लिए एक चॉकलेट लेकर आती है। "
Albert Einstein, story-in-hindi-life
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तीसरा किस्सा :-
                 एक बार किसी समारोह में आइंस्टाइन को एक लिफ्ट बनाने वाली कंपनी के मालिक मिले।  उन्होंने आइंस्टाइन को उनके घर में लिफ्ट लगवाने  की दरख्वास्त की। आइंस्टाइन मान गए। आइंस्टाइन ने वक्त , तारीख बताई  और उनके घर का पता दिया साथ ही एडवांस के तौर पर कुछ पैसे भी दिए। बादमे वे उस बातको भूलगये। कुछ दिन बाद तय तारीख को वह लिफ्ट कंपनी वाले कंपनी का मालिक और लिफ्ट लगाने वाले मजदूर समान के साथ आइंस्टाइन के घर पर पहुंचे तो आइंस्टाइन का घर देखकर उन्हें बड़ा शॉक लगा। क्योंकि वे जिस घर में लिफ्ट लगाने के लिए आए थे वह आइंस्टाइन का घर सिर्फ एक ही माले  का था।
ऐसे थे अलबर्ट आइंस्टाइन।

चौथा किस्सा :-
        एक बार आइंस्टाइन अपनी गाड़ी में बैठकर किसी यूनिवर्सिटी के समारंभ में सापेक्षतावाद का पेपर पढ़ने के लिए जा रहे थे। वह पेपर उन्होंने कई बार पढ़ा था।  रास्ते से जाते हुए उनके ड्राइवर ने उनसे कहा यह आप हर आप हर समारंभ में जाकर एक ही लेक्चर देते हैं ,इसमें ऐसा क्या है जो लोग उसे इतनी बार सुनते हैं ? मैंने तो आपका भाषण इतनी बार सुना है कि मुझे वह पूरा याद हो गया है। पर समजमे कुछभी नहीं आया।
 आइंस्टाइन ने कहा " अच्छा तो, इस बार इस समारंभ में मेरी जगह तुम ही पेपर पढ़ोगे।
हां ना करते ड्राइवर तैयार हो गया। वह भी आइंस्टाइन के साथ रहकर तजुर्बेकार हो गया था।  वे यूनिवर्सिटी के समारंभ में पहुंचे।  वहा आइंस्टाइन को किसी ने नहीं देखा था सब नाम से जानते थे । आइंस्टाइन लोगों के बीच में कुर्सी पर पीछे बैठ गए और ड्राइवर स्टेज पर आइंस्टाइन के लिए जो कुर्सी रखी थी वहा बैठ गया।  कुछ  देर बाद आइंस्टाइन के पेपर पढ़ने की बारी आई तो ड्राइवर ने खड़े रहकर अचूकता पूरा पेपर पढ़ा। बाद में उस विषय पर लोगों के , विद्यार्थीयो के सवाल जबाब शुरू हुए।  सवाल शुरू हुए तो उनकी जवाब भी ड्राइवर ने दिए। लेकिन कुछ देर बाद ही किसी ने एक ऐसा प्रश्न पूछा जिसका जवाब ड्राइवर को नहीं आता था। वहां थोड़ासा सोच विचार करके बोला " अरे कितना सीधा प्रश्न पूछा है, इस सवाल का जवाब दो मेरा ड्राइवर भी दे सकता है।
   ऐसा कहके उसने आइंस्टाइन की तरफ उंगली दिखाई फिर आइंस्टाइन खड़े हो गए स्टेज पर आए और उस कठिन सवाल का जवाब दिया। लोगोने तालिया बजाई।
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