आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपनी सेहत को नजरअंदाज करते जाते
है। जिसके परिणाम हमें आगे जाकर या ढलती आयु में भुगतने पड़ते है। मनुष्य
की आयुमर्यादा १०० वर्ष की होती है। पर वर्तमान काल की लाइफस्टाइल को
देखते हुवे वह औसतन ६० साल ही बची हुवी है। १०० साल तक जीना कोण नहीं
चाहता ,सब जीना चाहते है। पर उतनी उम्र जीने के लिए शरीर को उस तरह तैयार
करनेवाले बहोत कम लोग होते है। तंदरुस्त रहने के लिए अपने रोजाना की
जीवनशैली में कुछ छोटे मोठे बदलाव लाने आवश्यक है। जिससे आप जिंदगी का मजा
और बेहतर तरीके सके।
जैसा आहार वैसा आचार। जैसा हम खाते हैं, वैसा हमें मिलता है। हमारे खानपान की आदतों की तरह, हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। भोजन हर व्यक्तिव व् प्राणी की बुनियादी जरूरत है। हमारे शरीररुपी मशीन चलाने के लिए उसमे भोजनरूपी पेट्रोल डालना आवश्यक है। सिर्फ पेट भरने की प्रक्रिया को भोजन कहा जा सकता है? क्या भोजन के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री का अर्थ केवल भोजन है? हमारा आहार कुछ ऐसा होना चाहिए जो न केवल पेट भरता है बल्कि हमारे शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखता हो । वैसेभी होमिओपॅथी का सिद्धांत है, मन स्वस्थ तो शरीर स्वस्थ। हमें जीने के लिए खाना है , खाने के लिए जीना नहीं है। वैसीही जिंदगी
आहार संतुलित होना चाहिए। जब किसी आहार को परिभाषित करने की बात आती है, तो यह कहा जा सकता है कि कम, लेकिन उच्च गुणवत्ता वाला आहार उपयुक्त है। हमारा आहार शरीर को रोगप्रतिकारशकती प्रदान करता है। करो होमिओपॅथी चिकित्सा में आहार का विशेष महत्व है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आहार शरीर के समान हो। होमिओपॅथी के जैसा रोगप्रतिकारशकती प्रदान करता है। आहार स्वस्थ और पौष्टिक होना चाहिए।
आहार को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है।
1 ) ऊर्जावान आहार:
जैसे। चावल, चीनी, मिठाई
2 ) रचनात्मक आहार:
यह रोग शरीर में हड्डियों और मांसपेशियों के विकास के लिए मदद करता है है।
3 ) रोगविरोधी आहार:
यह आहार रोग से लड़ने के लिए शरीर को प्रतिरक्षा प्रणाली प्रदान करता है। फल और सब्जियां। रोकथाम में सबसे अच्छा योगदान। रोकथाम में सर्वश्रेष्ठ योगदान।
बचपन से ही मनुष्य का आहारयदि नियंत्रित, संतुलित और समय पर रहा , तो यह एकमात्र निवारक दवा के रूप में कार्य करता है। हम जो खाते हैं उसे पचाने के लिए पेट को पचाना पड़ता है। इसलिए भोजन सुपाच्य और हल्का होना चाहिए। इससे लिवर में खिंचाव नहीं होगा। भोजन में हमेशा साग, सलाद और दही शामिल होना चाहिए। सलाद हड्डियों को मजबूत करता है ,जबकि दही त्वचा को निखार देता है। सब्जियों को आधकच्चा ही खाया जाना चाहिए, अन्यथा ज्यादा पकने से सब्जिया अपना सार खोदेती है । अत्यधिक पकी और मसालेदार सब्जियों का स्वाद अच्छा होता है। लेकिन इसका शरीर को कोई विशेष लाभ नहीं होता है।
गवार की सब्जी कोलेस्ट्रॉल कम करता है। दूध एक संपूर्ण आहार है। हालाँकि, कुछ महिलाएं अपने बच्चों को भोजन के बजाय केवल दूध ही देती हैं। ऐसा करना नुक्सानदायक हो सकता है। दूध में कैल्शियम होता है पर , दूध का अतिसेवन हड्डी के कैल्शियम को कम करता है। इस कैल्शियम की कमी से मरीजों को पैरों में दर्द की शिकायत होती है। इसलिए, दूध एक आहार का घटक होना चाहिए।
जैसा आहार वैसा आचार। जैसा हम खाते हैं, वैसा हमें मिलता है। हमारे खानपान की आदतों की तरह, हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। भोजन हर व्यक्तिव व् प्राणी की बुनियादी जरूरत है। हमारे शरीररुपी मशीन चलाने के लिए उसमे भोजनरूपी पेट्रोल डालना आवश्यक है। सिर्फ पेट भरने की प्रक्रिया को भोजन कहा जा सकता है? क्या भोजन के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री का अर्थ केवल भोजन है? हमारा आहार कुछ ऐसा होना चाहिए जो न केवल पेट भरता है बल्कि हमारे शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखता हो । वैसेभी होमिओपॅथी का सिद्धांत है, मन स्वस्थ तो शरीर स्वस्थ। हमें जीने के लिए खाना है , खाने के लिए जीना नहीं है। वैसीही जिंदगी
आहार संतुलित होना चाहिए। जब किसी आहार को परिभाषित करने की बात आती है, तो यह कहा जा सकता है कि कम, लेकिन उच्च गुणवत्ता वाला आहार उपयुक्त है। हमारा आहार शरीर को रोगप्रतिकारशकती प्रदान करता है। करो होमिओपॅथी चिकित्सा में आहार का विशेष महत्व है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आहार शरीर के समान हो। होमिओपॅथी के जैसा रोगप्रतिकारशकती प्रदान करता है। आहार स्वस्थ और पौष्टिक होना चाहिए।
Image from pixabay.com |
आहार को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है।
1 ) ऊर्जावान आहार:
जैसे। चावल, चीनी, मिठाई
2 ) रचनात्मक आहार:
यह रोग शरीर में हड्डियों और मांसपेशियों के विकास के लिए मदद करता है है।
3 ) रोगविरोधी आहार:
यह आहार रोग से लड़ने के लिए शरीर को प्रतिरक्षा प्रणाली प्रदान करता है। फल और सब्जियां। रोकथाम में सबसे अच्छा योगदान। रोकथाम में सर्वश्रेष्ठ योगदान।
बचपन से ही मनुष्य का आहारयदि नियंत्रित, संतुलित और समय पर रहा , तो यह एकमात्र निवारक दवा के रूप में कार्य करता है। हम जो खाते हैं उसे पचाने के लिए पेट को पचाना पड़ता है। इसलिए भोजन सुपाच्य और हल्का होना चाहिए। इससे लिवर में खिंचाव नहीं होगा। भोजन में हमेशा साग, सलाद और दही शामिल होना चाहिए। सलाद हड्डियों को मजबूत करता है ,जबकि दही त्वचा को निखार देता है। सब्जियों को आधकच्चा ही खाया जाना चाहिए, अन्यथा ज्यादा पकने से सब्जिया अपना सार खोदेती है । अत्यधिक पकी और मसालेदार सब्जियों का स्वाद अच्छा होता है। लेकिन इसका शरीर को कोई विशेष लाभ नहीं होता है।
हमारी रसोई में बहुत सारी दवाएं हैं।
भारतीय आहार दवाओं से भरा है। हल्दी जैसा एक अच्छा एंटीसेप्टिक कहीं भी नहीं पाया जा सकता है। तुलसी के रस के साथ अदरक का रस लेना सर्दी, खांसी , कफ और छाती के रोगों के लिए फायदेमंद है। अगर हींग को घी के साथ लिया जाए तो पेट में मौजूद कीड़े मर जाते हैं। गोभी पेट को साफ रखने का काम करती है। मेथीदाना और लहसुन सन्धिवात के लिए उपयोगी होते हैं। अावला बाल मजबूत बनाता है। दूध और गाजर रक्त संचार को ठीक रखते हैं। मलेरिया और डेंगू के बाद तुलसी का रस पीने से आराम मिलता है। मूली और खीरा आंखों के लिए अच्छा होता है। नींबू और टमाटर शरीर को एसिड प्रदान करते हैं। इससे पाचन क्रिया व्यवस्थित रहती है। चूंकि इगेनॉल तुलसी में एक पदार्थ है, इसलिए इसे मधुमेह को नियंत्रित करने में मदत होती है।गवार की सब्जी कोलेस्ट्रॉल कम करता है। दूध एक संपूर्ण आहार है। हालाँकि, कुछ महिलाएं अपने बच्चों को भोजन के बजाय केवल दूध ही देती हैं। ऐसा करना नुक्सानदायक हो सकता है। दूध में कैल्शियम होता है पर , दूध का अतिसेवन हड्डी के कैल्शियम को कम करता है। इस कैल्शियम की कमी से मरीजों को पैरों में दर्द की शिकायत होती है। इसलिए, दूध एक आहार का घटक होना चाहिए।
Image from pixabay.com |
निरोगी और स्वस्थ रहने के लिए यह छोटे छोटे तरीके अपनाइये। निश्चित रूप से आप को लाभ देखने मिलेगा।
Image from pixabay.com |
- देर रात तक जागना बंद करे, सुबह जल्दी उठे। सुबह ५ बजे उठना अच्छा होता है। पर ७ बजने के बाद भी सोते रहना गलत है। सुबह जल्दी उठकर गर्म पानी पिए। प्रातर्विधि निपटाकर खुली हवा में घूमने जाये। अगर नही जा सकते तो घर में ही १५ मिनट तक हलकी फुलकी एक्सरसाइज़ करे।
- ताजा खाना खाये। खाने के पहले व बादमे पानी ना पिए। बदलते मौसम में बाहर के खाने से बचें। तला हुवा ,ऑइली खाना ,जंकफूड कम खाये। कच्ची सब्जिया व फल खाये।
- हर रोज नहाये। साफ कपडे पहने। घर को साफ रखे।
- हर सुबह नास्ता अवश्य करे। चाय कॉफी कम पिने की कोशिश करे।
- अस्वस्थ लगनेपर डॉक्टर की सलाह ले, अपने विचार से दवाइयों का सेवन ना करे।
- टेंशन तनाव चिंता से मुक्त रहे। विचार अच्छे रखे, सकारात्मक सोच रखे।
- तम्बाकू ,सिगरेट ,शराब के सेवन से दूर रहे।
- रात्रि को खाना कम खाये। 11 से पहले सोये।
0 टिप्पणियाँ