वासुदेव पुरुषोत्ताम काळे मराठी भाषा के जानेमाने लेखक है। उन्होंने वैसे तो कई पुस्तके लिखी है पर उनकी वपुरज़ा नाम की एक पुस्तक काफी प्रसिद्धः हुवी। उसी पुस्तक में से उनके कुछ विचार आपके सामने प्रस्तुत है।
*कुछ लोगोका सुन्दर पत्नी चाहिए होती है , कुछ लोगोको बहन भी सुन्दर चाहिए होती है।
*खर्चे का कोई अफसोस नहीं होता है, पर जब हिसाब हिसाब नहीं लगता , तकलीफ / परेशानी तब होती है।
*रिटायरमेंट के बाद ज्यादातर भेट में दी जाने वली चीज है घड़ी। वह भी ऐसे दी जाती है जब उस इंसान को उसकी जरुरत ही नहीं होती।
*प्रॉब्लम किसे नहीं होते है? वे सबको होते हैं, और आखिर तक होते है। लेकिन हर प्रोब्लैम का इलाज तो होता ही है। कभी-कभी उन्हें इसे हल करने के लिए समय की आवश्यकता होती है, कभी पैसा और कभी इंसान। इन तीन चीजों के आगे प्रॉब्लम का अस्तित्व होता ही नहीं है ।
*सर्जरी से पहले मरीज डरा हुवा होता है। सर्जरी पूरी होने के बाद रहगये जखम के टआके सबको चाव से दिखाता घूमता है ।
*एक इंसान असफलता से नहीं डरता। उस अफलता का जिम्मेदार ठहराने के लिए कोई मिलेगा या नहीं ? वह इस बात से डरता है।
*बात करनेके लिए किसीका ना होना इससे भी ज्यादा की हुवी बात उस व्यक्ती तक न पहुंचना यह ज्यादा भयानक है।
*पर जिस कागज़ को अहंकार लागगया उसे सर्टफिकट बंनने में देर नही लगती ।
*रात का कीड़ा यानि क्रिकेट कितनी बेसुरी आवाज में रोता है इसमें कोई दोराय नहीं । उसके आवाज की हमें बेहद तकलीफ होती है। लेकिन इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि पता ही नहीं चल पाता कि वह कहां छुपकर किररकिर कर रहा है।
*कोई हमसे भी ऊब सकता है , यह कल्पना ही बोहोत तकलीफदेय है ।
*रात की सुगंध का आनंद बिस्तर पर लेटे लेते लिया जा सकता है। पर तुलसी वृंदावन में ही रहती हैं। उसके सुगंध का आनंद लेने के लिए हमें उसके सामने खड़ा होना होगा।
*जिन लोगो का अपंने बिच में होना मायने रखता है , उन लोगो के विछड़ जाने से बोहोत दुःख होता है।
*जिन लोगों में अपनेपन की भावना होती है, वे अपनेपन का खालीपन महसूस करते हैं।
*जिंदगी कितनी खूबसूरत है ...
उसे बस अच्छे विचारों के साथ जीना चाहिए ...
अच्छे विचारोंसे इंसान से इंसान जोड़ते आना चाहिए ...
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